Vishnu Chalisa विष्णु चालीसा Shree Vishnu Bhagwan Chalisa

आज हम श्री विष्णु भगवान की आराधना के लिए Vishnu Chalisa विष्णु चालीसा Shree Vishnu Bhagwan Chalisa श्री विष्णु भगवान चालीसा प्रकाशित कर रहें हैं.

भगवान श्री विष्णु को इस श्रृष्टि का पालनकर्ता माना जाता है. श्री विष्णु जी की आराधना और स्तुति करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी होता है.

सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ जो कोई भी श्री विष्णु जी की आराधना और स्तुति करता है, उसके समस्त संकटों का निवारण स्वयं श्री विष्णु भगवान करतें हैं. वह इस संसार के समस्त सुखों का भोग करने के पश्चात मृत्यूपरांत जनम मरण के चक्र को पार कर मोक्ष को प्राप्त करता है.

श्री विष्णु भगवन की आराधना और स्तुति के लिए आप श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें, विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करे और श्री विष्णु जी की आरती करें.

विष्णु भगवान की स्तुति के लिए आप Om Jai Lakshmi Ramana Aarti ॐ जय लक्ष्मी रमणा आरती का गायन करते हुए उनकी आरती कर सकतें हैं.

Vishnu Chalisa विष्णु चालीसा

Vishnu Chalisa

|| श्री विष्णु चालीसा ||

|| दोहा ||

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय |
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय |

|| चौपाई ||

नमो विष्णु भगवान खरारी,
कष्ट नशावन अखिल बिहारी |
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,
त्रिभुवन फैल रही उजियारी |

सुन्दर रूप मनोहर सूरत,
सरल स्वभाव मोहनी मूरत |
तन पर पीताम्बर अति सोहत,
बैजन्ती माला मन मोहत |

शंख चक्र कर गदा बिराजे,
देखत दैत्य असुर दल भाजे |
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,
काम क्रोध मद लोभ न छाजे |

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन |
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,
दोष मिटाय करत जन सज्जन |

पाप काट भव सिन्धु उतारण,
कष्ट नाशकर भक्त उबारण |
करत अनेक रूप प्रभु धारण,
केवल आप भक्ति के कारण |

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,
तब तुम रूप राम का धारा |
भार उतार असुर दल मारा,
रावण आदिक को संहारा |

आप वाराह रूप बनाया,
हरण्याक्ष को मार गिराया |
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,
चौदह रतनन को निकलाया |

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,
रूप मोहनी आप दिखाया |
देवन को अमृत पान कराया,
असुरन को छवि से बहलाया |

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,
मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया |
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,
भस्मासुर को रूप दिखाया |

वेदन को जब असुर डुबाया,
कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया |
मोहित बनकर खलहि नचाया,
उसही कर से भस्म कराया |

असुर जलन्धर अति बलदाई,
शंकर से उन कीन्ह लडाई |
हार पार शिव सकल बनाई,
कीन सती से छल खल जाई |

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,
बतलाई सब विपत कहानी |
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,
वृन्दा की सब सुरति भुलानी |

देखत तीन दनुज शैतानी,
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी |
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,
हना असुर उर शिव शैतानी |

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,
हिरणाकुश आदिक खल मारे |
गणिका और अजामिल तारे,
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे |

हरहु सकल संताप हमारे,
कृपा करहु हरि सिरजन हारे |
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,
दीन बन्धु भक्तन हितकारे |

चहत आपका सेवक दर्शन,
करहु दया अपनी मधुसूदन |
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन |

शीलदया सन्तोष सुलक्षण,
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण |
करहुं आपका किस विधि पूजन,
कुमति विलोक होत दुख भीषण |

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,
कौन भांति मैं करहु समर्पण |
सुर मुनि करत सदा सेवकाई
हर्षित रहत परम गति पाई |

दीन दुखिन पर सदा सहाई,
निज जन जान लेव अपनाई |
पाप दोष संताप नशाओ,
भव बन्धन से मुक्त कराओ |

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,
निज चरनन का दास बनाओ |
निगम सदा ये विनय सुनावै,
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै |

|| दोहा ||

भक्त हृदय में वास करें पूर्ण कीजिये काज |
शंख चक्र और गदा पद्म हे विष्णु महाराज |

Video

श्री विष्णु चालीसा (Shree Vishnu Chalisa) विडियो निचे आप सब विष्णु भगवान के भक्तों के लिए दिया हुआ है. आप सब सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक इस विडियो को देखें.

Shree Vishnu Chalisa

Video source : YouTube

विष्णु चालीसा का पाठ कैसे करें?

Shree Vishnu Chalisa
  • बृहस्पतिवार और एकादशी का दिन श्री विष्णु चालीसा के पाठ के लिए अत्यंत ही उत्तम होता है.
  • वैसे श्री विष्णु भगवान के भक्त किसी भी दिन श्री विष्णु चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ कर सकतें हैं.
  • प्रातःकाल और संध्या काल का समय श्री विष्णु चालीसा के पाठ के लिए उत्तम होता है.
  • प्रातः काल स्नान आदि करने के पश्चात सम्पूर्ण रूप से स्वच्छ और पवित्र होकर ही श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें.
  • विष्णु भगवान के मंदिर में जाकर श्री विष्णु चालीसा का पाठ करना अत्यंत ही शुभ होता है.
  • अगर आप सच्चे हृदय से श्री विष्णु चालीसा का पाठ कर रहें हैं तो आपको किसी भी अन्य विधि की आवश्यकता नहीं है. श्री विष्णु आपके हृदय की पवित्रता और भाव से ही प्रसन्न हो जायेंगे.

सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें.

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