Aarti Sankat Hari Ki

Aarti Sankat Hari Ki आरती संकट हारी की – सम्पूर्ण भक्ति के साथ इस आरती को करें और नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा पायें.

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Aarti Sankat Hari Ki आरती संकट हारी की

|| आरती संकट हारी की ||

आरती संकट हारी की,
प्रेत प्रभु जन हितकारी की |

रत्न माय सिंहासन राजै,
स्वर्णमयमुकुट शीशभ्राजे |

गले मणि माल दिव्य साजै,
तेज लखि सूर्य चन्द्र लाजै |

वस्त्र जगमग तनधारी की,
आरती संकट हारी की |

हाथ में धनु कृपाण शरढाल,
संग में सेना बड़ी विशाल |

देखकर भागे भूत कराल,
भक्त संकट हर अमितकृपाल |

भूत पति जग अवतारी की,
आरती संकट हारी की |

आन प्रकटे बालाजी धाम,
छा रहा भारत सबमें नाम |

किये भक्तों के पूरण काम,
जयति जय प्रेत राज बलधाम |

भक्त उरधाम बिहारी की,
आरती संकट हारी की |

आरती जो करते मन से,
क्लेश सब छूटत हैं तन से |

रहे परिपूरण तन जन से,
प्रेम हो प्रभु चरणन से |

सुखद लीला विस्तारी की,
आरती संकट हारी की |

आरती संकट हारी की,
प्रेत प्रभु जन हितकारी की |

English Lyrics

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Aarti Sankat Hari Ki
आरती संकट हारी की

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By Shri Sanjay Ji

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