Bhairav Chalisa – संकटों से बचने के लिए करें भैरव चालीसा पाठ

भैरव बाबा की आराधना के लिए भैरव चालीसा | Bhairav Chalisa का पाठ भक्तिपूर्वक करें.

संकटों से बचने के लिए, भय से मुक्ति के लिए, नकारात्मक ऊर्जा का नाश करने के लिए, जीवन में सुख और शांति के लिए भैरव चालीसा का पाठ करें.

धार्मिक मान्यता के अनुसार भैरव चालीसा का पाठ करने, भैरव बाबा की आराधना और स्तुति करने से उपरोक्त शुभ फल की प्राप्ति होती है.

भैरव बाबा के ही एक रूप श्री बटुक भैरव की आराधना के लिए बटुक भैरव चालीसा का भी पाठ करना अत्यंत ही मंगलकारी होता है.

तो चलिए अब हम सब भक्तिपूर्वक श्री भैरव चालीसा | Shri Bhairav Chalisa का पाठ आरंभ करतें हैं.

Bhairav Chalisa (श्री भैरव चालीसा)

Bhairav Baba

श्री भैरव चालीसा

|| दोहा ||

श्री भैरव संकट हरन मंगल करन कृपालु ।
करहु दया निज दास पे निशिदिन दीनदयालु ।।

|| चौपाई ||

जय डमरूधर नयन विशाला ।
श्याम वर्ण वपु महा कराला ।।

जय त्रिशूलधर जय डमरूधर ।
काशी कोतवाल संकटहर ।।

जय गिरिजासुत परमकृपाला ।
संकटहरण हरहु भ्रमजाला ।।

जयति बटुक भैरव भयहारी ।
जयति काल भैरव बलधारी ।।

अष्टरूप तुम्हरे सब गायें ।
सफल एक ते एक सिवाये ।।

शिवस्वरूप शिव के अनुगामी ।
गणाधीश तुम सबके स्वामी ।।

जटाजूट पर मुकुट सुहावै ।
भालचन्द्र अति शोभा पावै ।।

कटि करधनी घुँघुरू बाजैं ।
दर्शन करत सकल भय भाजैं ।।

कर त्रिशूल डमरू अति सुन्दर ।
मोरपंख को चंवर मनोहर ।।

खप्पर खड्ग लिए बलवाना ।
रूप चतुर्भुज नाथ बखाना ।।

वाहन श्वान सदा सुखरासी ।
तुम अनन्त प्रभु अविनासी ।।

जय जय जय भैरव भय भंजन ।
जय कृपालु भक्तन मनरंजन ।।

नयन विशाल लाल अति भारी ।
रक्तवर्ण तुम अहहु पुरारी ।।

बं बं बं बोलत दिनराती ।
शिव कहँ भजहु असुर आराती ।।

एकरूप तुम शम्भु कहाये ।
दूजे भैरव रूप बनाये ।।

सेवक तुमहिं प्रभु स्वामी ।
सब जग के तुम अन्तर्यामी ।।

रक्तवर्ण वपु अहहि तुम्हारा ।
श्यामवर्ण कहुँ होइ प्रचारा ।।

श्वेतवर्ण पुनि कहा बखानी ।
तीनि वर्ण तुम्हरे गुणखानी ।।

तीनि नयन प्रभु परम सुहावहिं ।
सुरनर मुनि सब ध्यान लगावहिं ।।

व्याध्र चर्मधर तुम जग स्वामी ।
प्रेतनाथ तुम पूर्ण अकामी ।।

चक्रनाथ नकुलेश प्रचण्डा ।
निमिष दिगम्बर कीरति चण्डा ।।

भक्तिपूर्वक करें Shri Bhairav Chalisa का पाठ

क्रोधवत्स भूतेश कालक्षर ।
चक्रतुण्ड दशबाहु व्यालधर ।।

अहहिं कोटि प्रभु नाम तुमहारे ।
जपत सदा मेटत दुःख भारे ।।

चौंसठ योगिनी नाचहिं संगा ।
क्रोधवान तुम अति रणरंगा ।।

भूतनाथ तुम परम पुनीता ।
तुम भविष्य तुम अहहु अतीता ।।

वर्तमान तुम्हरो शुचि रूपा ।
कालमयी तुम परम अनूपा ।।

ऐकादी को संकट टार्यो ।
साद भक्त को कारज सार्यो ।।

कालीपुत्र कहावहु नाथा ।
तब चरणन नावहुं नित माथा ।।

श्रीक्रोधेश कृपा विस्तारहु ।
दीन जानि मोहि पार उतारहु ।।

भवसागर बूढ़त दिनराती ।
होहु कृपालु दुषट आराती ।।

सेवक जानि कृपा प्रभु कीजै ।
मोहिं भगति अपनी अब दीजै ।।

करहुँ सदा भैरव की सेवा ।
तुम समान दूजो को देवा ।।

अश्वनाथ तुम परम मनोहर ।
दुष्ट कहँ प्रभु अहछु भयंकर ।।

तुम्हरो दास जाहाँ जो होई ।
ताकहँ संकट परे न कोई ।।

हरहु नाथ तुम जन की पीरा ।
तुम समान प्रभु को बलवीरा ।।

सब अपराध क्षमा करि दीजै ।
दीन जानि आपुन मोहिं कीजै ।।

जो यह पाठ करे चालीसा ।
तापै कृपा करहु जगदीशा ।।

|| दोहा ||

जय भैरव जय भूतपति जय जय जय सुखकन्द ।
करहु कृपा नित दास पे देहु सदा आनन्द ।।

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bhairav chalisa

Importance of Bhairav Chalisa | भैरव चालीसा का महत्व

  • भैरव चालीसा का पाठ (Shri Bhairav Chalisa) करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी होता है.
  • जीवन में आने वाले संकटों से बचाव के लिए श्री भैरव जी की आराधना करें.
  • श्री भैरव बाबा की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तिपूर्वक श्री भैरव चालीसा का पाठ करना अत्यंत ही शुभ फलदाई होता है.
  • भैरव चालीसा के पाठ से नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है.
  • किसी भी शुभ कार्य को करने जा रहें हो और भैरव बाबा की आराधना करने के बाद जाएँ तो उस कार्य में आने वाली बाधाओं और संकटों से भैरव बाबा रक्षा करतें हैं.

आज के इस पोस्ट में बस इतना ही. भक्तिपूर्वक श्री भैरव जी की आराधना करें.

काल भैरव बाबा का प्रसिद्ध मंदिर कहाँ स्थित है?

काशी के काल भैरव मंदिर को सबसे प्रसिद्ध भैरव बाबा मंदिर माना जाता है. भैरव बाबा का यह प्राचीन मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर की दुरी पर स्थित है.

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