Brahmacharini Mata – ब्रह्मचारिणी माता मंत्र, स्तोत्रम्

Brahmacharini Mataनवरात्रि के दुसरे दिन माँ दुर्गा के दुसरे स्वरुप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना करने के विधान है.

ब्रह्मचारिणी माता की आराधना और स्तुति के लिए हमने इस प्रकाशन में ब्रह्मचारिणी माता मंत्र (Brahmacharini Mata Mantra), स्तुति (Maa Brahmacharini Mantra), ब्रह्मचारिणी माता स्तोत्र (Brahmacharini Mata Stotra), माँ ब्रह्मचारिणी ध्यान मंत्र (Maa Brahmacharini Dhyan Mantra), माँ ब्रह्मचारिणी प्रार्थना मंत्र (Maa Brahmacharini Prarthna Mantra), ब्रह्मचारिणी माता कवच (Brahmacharini Mata kavach) तथा ब्रह्मचारिणी माता की आरती (Brahmacharini Mata Ki Aarti) आदि प्रकाशित किया है.

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ब्रह्मचारिणी माता भी माँ पार्वती का ही रूप है. नवरात्र के दुसरे दिन अर्थात द्वितीय तिथि को ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाती है.

Brahmacharini Mata Mantra – ब्रह्मचारिणी माता मंत्र

Brahmacharini Mata
माँ ब्रह्मचारिणी

ब्रह्मचारिणी माता की आराधना के लिए निचे दिए गए ब्रह्मचारिणी माता मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है.

सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक दिए गये मंत्र का पाठ करें.

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

Maa Brahmacharini Mantra – माँ ब्रह्मचारिणी स्तुति मंत्र

ब्रह्मचारिणी माता की स्तुति के लिए यहाँ दिया गया माँ ब्रह्मचारिणी स्तुति मंत्र अत्यंत ही सिद्ध मंत्र है. सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ इस दिए गये मंत्र का पाठ करना अत्यंत ही शुभ माना गया है.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ब्रह्मचारिणी माता प्रार्थना मंत्र

यहाँ हमने ब्रह्मचारिणी माता की पूजा के लिए प्रार्थना मंत्र दिया हुआ है. इस प्रार्थना मंत्र का ह्रदय से पाठ करें.

दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

Brahmacharini Mata Dhyan Mantra – ब्रह्मचारिणी माता ध्यान मंत्र

नवरात्रि के दुसरे दिन दिए गये ब्रह्मचारिणी माता ध्यान मंत्र का पाठ करें और माँ के चरणों का ह्रदय से ध्यान करें. माँ ब्रह्मचारिणी की पावन कृपा पाने के लिए इस मंत्र का पाठ करना अत्यंत ही लाभदायक माना गया है.

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥

परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

Brahmacharini Mata Stotra – ब्रह्मचारिणी माता स्तोत्रम्

माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए हमने यहाँ ब्रह्मचारिणी स्तोत्रम् का प्रकाशन किया हुआ है. माता ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए दिए गये स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत ही मंगलकारी माना गया है.

आप सब सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए दिए गये इस ब्रह्मचारिणी स्तोत्र का जाप करें.

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

माँ ब्रह्मचारिणी कवच

ब्रह्मचारिणी माता कवच मंत्र का प्रकाशन हमने यहाँ किया है. यह अत्यंत ही शक्तिशाली कवच है. माता की परम कृपा अपने साधक पर इस कवच मंत्र के पाठ से बनी रहती है.

भक्तिपूर्वक इस ब्रह्मचारिणी कवच का पाठ करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है.

त्रिपुरा में हृदयम् पातु ललाटे पातु शङ्करभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

Maa Chandraghanta – माँ चंद्रघंटा मंत्र, स्तोत्र, स्तुति

ब्रह्मचारिणी माता की आरती

माँ ब्रह्मचारिणी की भक्तिपूर्वक पूजा आराधना करने के पश्चात सम्पूर्ण श्रद्धापूर्वक ब्रह्मचारिणी माता की आरती अवस्य करें.

|| ब्रह्मचारिणी माता की आरती ||

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥

ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सरल संसारा॥

जय गायत्री वेद की माता।

जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥

कमी कोई रहने ना पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने॥

जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर॥

जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना॥

माँ तुम उसको सुख पहुँचाना।

ब्रह्मचारिणी तेरो नाम॥

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी॥

रखना लाज मेरी महतारी।

Om Jai Ambe Gauri Aarti ॐ जय अम्बे गौरी आरती

ब्रह्मचारिणी माता के बारे में कुछ जानकारी

  • ब्रह्मचारिणी माता की पूजा नवरात्र के दुसरे दिन की जाती है.
  • माँ ब्रह्मचारिणी माँ पार्वती का ही रूप है.
  • माता ने महादेव शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी.
  • तप का आचरण करने के कारण माँ ब्रह्मचारिणी के नाम से प्रसिद्द है.
  • माँ ब्रह्मचारिणी दाहिने हाथ में तप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती है.
  • ब्रह्मचारिणी माता के साधक कुंडलिनी शक्ति जागृत करने के लिए इनकी उपासना करतें हैं.
  • माँ ब्रह्मचारिणी का रूप अत्यंत ही सौम्य है.
  • माता अपने भक्तों पर अत्यंत ही कृपालु है.
  • ब्रह्मचारिणी माता की सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक आराधना करने से साधक में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।
  • माता अपने भक्तों में इतना आत्मबिस्वास भर देतीं हैं की किसी भी विपरीत परिस्थिति में वह बिना विचलित हुए परिस्थिति का सामना करता है.
  • माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक को सिद्धि की प्राप्ति होती है.
  • ब्रह्मचारिणी माता का प्रभाव मंगल ग्रह पर है.
  • मंगल ग्रह के दोष से अगर किसी मनुष्य को परेशानी हो तो उसे सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिए.
  • इससे उसका मंगल दोष दूर हो जायेगा.

नवरात्रि के किस दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाती है?

नवरात्रि के दुसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.

ब्रह्मचारिणी माता को किस देवी का रूप माना जाता है?

ब्रह्मचारिणी माता को माँ पार्वती का ही रूप माना जाता है.

आज के इस प्रकाशन को हम यहीं समाप्त कर रहें हैं. किसी भी प्रकार के सुझाव के लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखें.

माँ दुर्गा की आराधना से संबंद्धित कुछ और प्रकाशनों की सूचि हमने यहाँ दी हुई है. आप इन्हें भी देख सकतें हैं.

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