Maa Skandmata – माँ स्कंदमाता मंत्र, स्तुति, स्तोत्र, आरती

Maa Skandmata माँ स्कंदमाता – इस प्रकाशन में हमने माँ स्कंदमाता की आराधना और स्तुति के लिए स्कंदमाता मंत्र (Skandmata Mantra), माँ स्कंदमाता स्तोत्र (Maa Skandmata Stotra), स्कंदमाता स्तुति मंत्र (Skandmata Stuti Mantra), स्कंदमाता प्रार्थना मंत्र, स्कंदमाता कवच (Skandmata Kavach), तथा स्कंदमाता की आरती प्रकाशित की है.

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नवरात्रि के पांचवें दिन अर्थात पंचमी तिथि की पूजा में माँ स्कंदमाता की पूजा आराधना की जाती है. स्कंदमाता भी आदिशक्ति माँ पार्वती का ही रूप है. यही माँ दुर्गा भी है.

कार्तिकेय भगवान को स्कन्द के नाम से भी जाना जाता है. देवताओं के सेनापति भगवान श्री कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण दुर्गा माता के इस रूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.

जो कोई साधक सच्चे ह्रदय से माँ स्कंदमाता की भक्ति करता है. उनकी श्रद्धापूर्वक उपासना करता है. माँ स्कंदमाता उसके समस्त दुखों का नास करती है और उसके लिए मोक्ष का द्वार प्रशस्त करती है.

चलिए अब हम सब सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक माँ स्कंदमाता की आराधना और स्तुति आरम्भ करतें हैं.

Maa Skandmata Mantra – माँ स्कंदमाता मंत्र

Maa Skandmata
Maa Skandmata

स्कंदमाता की आराधना के लिए यहाँ दिए गए माँ स्कंदमाता मंत्र का कम-से-कम १०८ बाद जाप करें.

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

Maa Skandmata Stuti Mantra – माँ स्कंदमाता स्तुति मंत्र

माँ स्कंदमाता की स्तुति के लिए सम्पूर्ण श्रद्धापूर्वक निचे दिए गए मंत्र का पाठ करें.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्कंदमाता प्रार्थना मंत्र

अब आप सब सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्तिपूर्वक निचे दिए गए मंत्र का पाठ करें और हाथ जोड़कर माँ स्कंदमाता से सर्वकल्याण के लिए प्रार्थना करें.

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

Maa Skandmata Dhyan Mantra – माँ स्कंदमाता ध्यान मंत्र

निचे दिए गए मंत्रों का सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक पाठ करें. अपना ध्यान माँ स्कंदमाता के चरणों में लगाए रखें.

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्॥

धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल धारिणीम्॥

प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

Skandmata Stotra – स्कंदमाता स्तोत्र

नवरात्रि की पंचमी पूजा स्कंदमाता की पूजा आराधना में यहाँ दिए गए स्कंदमाता स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है. यह अत्यंत ही शक्तिशाली माँ स्कंदमाता स्तोत्र है. सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्तिपूर्वक इस माँ स्कंदमाता स्तोत्र का पाठ करें.

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागरम् पारपारगहराम्॥

शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रदीप्ति भास्कराम्॥

महेन्द्रकश्यपार्चितां सनत्कुमार संस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलाद्भुताम्॥

अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तितां विशेषतत्वमुचिताम्॥

नानालङ्कार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेदमार भूषणाम्॥

सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्र वैरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनीं सुवर्णकल्पशाखिनीम्
तमोऽन्धकारयामिनीं शिवस्वभावकामिनीम्।
सहस्रसूर्यराजिकां धनज्जयोग्रकारिकाम्॥

सुशुध्द काल कन्दला सुभृडवृन्दमज्जुलाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरम् सतीम्॥

स्वकर्मकारणे गतिं हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥

पुनः पुनर्जगद्धितां नमाम्यहम् सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम्॥

Skandmata Kavach – स्कंदमाता कवच

यहाँ दिया गया स्कंदमाता कवच अत्यंत ही सिद्ध और शक्तिशाली माँ स्कंदमाता कवच मंत्र है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्तिपूर्वक माँ स्कंदमाता की आराधना और स्तुति करने और स्कंदमाता कवच के पाठ से माँ स्कंदमाता की उपासना करने से स्वयम माता अपने साधक की समस्त संकटों से रक्षा करतीं हैं.

कोई भी नकारात्मक शक्ति उस साधक के आस-पास भी नहीं फटक सकती है, जिस साधक पर माँ स्कंदमाता की कृपा दृष्टि रहती है.

आप सब सम्पूर्ण श्रद्धापूर्वक यहाँ दिए गए माँ स्कंदमाता कवच मंत्र का पाठ करें.

ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयम् पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥

श्री ह्रीं हुं ऐं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वाङ्ग में सदा पातु स्कन्दमाता पुत्रप्रदा॥

वाणवाणामृते हुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्ने च वारुणे नैॠतेअवतु॥

इन्द्राणी भैरवी चैवासिताङ्गी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

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स्कंदमाता की आरती

सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्तिपूर्वक माँ स्कंदमाता की आराधना और स्तुति करने के पश्चात स्कंदमाता की आरती अवस्य करें.

|| स्कंदमाता की आरती ||

जय तेरी हो स्कन्द माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥

तेरी जोत जलाता रहूं मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहूं मै॥

कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥

कही पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मन्दिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इन्द्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खण्ड हाथ उठाए॥

दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥

दुर्गा माता की आरधना के लिए – Durga Aarti दुर्गा आरती

माँ स्कंदमाता से संबंद्धित कुछ धार्मिक जानकारी

  • नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा आराधना की जाती है.
  • कुमार कार्तिकेय जिन्हें स्कंद के नाम से जाना जाता है, की माता होने के कारण माँ दुर्गा के इस रूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.
  • माँ स्कंदमाता माँ पार्वती का ही रूप है.
  • स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं.
  • माँ स्कंदमाता अपने गोद में कुमार कार्तिकेय के बाल रूप को धारण करती हैं.
  • इनका वर्ण पुर्णतः शुभ्र है.
  • माँ स्कंदमाता को पद्मासना देवी के नाम से भी जाना जाता है.
  • स्कंदमाता अपने भक्तों की समस्त शुभ इच्छाओं को पूर्ण करती हैं.
  • माँ स्कंदमाता की जिस साधक पर कृपा हो वह इस संसार की समस्त सुखों का भोग करता है.
  • मृत्युपरांत उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक माँ स्कंदमाता की पूजा आराधना करने से माता की आराधना से प्राप्त होने वाले पुण्य के साथ-साथ कार्तिकेय भगवान की आराधना का पुण्य भी साधक को प्राप्त हो जाता है.

नवरात्रि के किस दिन माँ स्कंदमाता की पूजा आराधना की जाती है?

नवरात्रि के पांचवें दिन अर्थात पंचमी तिथि को माँ स्कंदमाता की पूजा आराधना की जाती है.

माँ स्कंदमाता को किस देवी का रूप माना गया है?

माँ स्कंदमाता को माँ पार्वती का रूप माना गया है. यही माँ दुर्गा का भी रूप है.

माँ दुर्गा के इस रूप को स्कंदमाता क्यों कहा जाता है?

माँ दुर्गा अपने इस रूप में कुमार कार्तिकेय (भगवान स्कंद) को अपने गोद में रखे हुई है. भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गा के इस रूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.

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