Anantanatha Aarti – भगवान अनंतनाथ की आरती – जैन धर्म के 14 वें तीर्थंकर भगवान श्री अनंतनाथ जी की आरती इस पोस्ट में प्रकाशित की गयी है.
श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री अनंतनाथ जी की स्तुति करें.
Bhaktamar Stotra is a powerful stotra. भक्तामर स्तोत्र का पाठ अवस्य करें.
Anantanatha Aarti – भगवान अनंतनाथ की आरती
|| श्री अनंतनाथ जी की आरती ||
करते हैं प्रभु की आरती,
आतम ज्योति जलेगी |
प्रभुवर अनंत की भक्ति,
सदा सोख्य भरेगी, सदा सोख्य भरेगी ||
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे सिंहसेन के राज दुलारे,
जयश्यामा के प्यारे |
साकेतपूरी के तुम नाथ,
गुणाकार तुम न्यारे ||
तेरी भक्ति से हर प्राणी में,
शक्ति जगेगी, प्राणी में शक्ति जगेगी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
वदि ज्येष्ठ द्वादशी में प्रभुवर,
दीक्षा को धारा था |
चैत्री मावस में
ज्ञान कल्याणक उत्सव प्यारा था ||
प्रभु की दिव्यध्वनि दिव्यज्ञान,
आलोक भरेगी, ज्ञान आलोक भरेगी ||
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अंतर्यामी |
श्री आदिनाथ भगवान की स्तुति करें – Aadinath Aarti – आदिनाथ भगवान की आरती
Anantanatha Aarti Video
श्री अनंतनाथ भगवान की आरती | Anantanatha Aarti यूट्यूब विडियो निचे दिया गया है. सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक इस विडियो को देखें.
महत्व Importance
श्री अनंतनाथ भगवान की आरती Shri Anantanatha Bhagwan Ki Aarti करना अत्यंत मंगलकारी होता है.
भगवान श्री अनंतनाथ की कृपा से मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति होती है. मन के अंदर का अँधेरा दूर होता है.
मनुष्य के अंदर की शक्ति जागृत होती है.
भक्तिपूर्वक श्री अनंतनाथ भगवान की स्तुति करें.
Audio
श्री अनंतनाथ भगवान की आरती ऑडियो निचे दिया गया है. इसे प्ले बटन दबाकर सुन सकतें हैं.
श्री अनंतनाथ भगवान जैन धर्म के 14 वें तीर्थंकर थे. उनका जन्म अयोध्या में हुआ था.
उन्होंने इक्ष्वाकु वंश में जन्म लिया था. अनंतनाथ जी के पिता का नाम सिंहसेन और माता का नाम सुयशा था.
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