भगवान श्री कृष्ण की आराधना के लिए आप Krishna Chalisa कृष्ण चालीसा – श्री कृष्णा चालीसा का सम्पूर्ण श्रद्धाभाव के साथ पाठ कर सकतें हैं.
श्री कृष्ण की आराधना और स्तुति करना मनुष्य के लिए उस परम स्थिति को प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है.
भगवान श्री कृष्ण की स्तुति के लिए आप Krishna Aarti कृष्ण आरती का सम्पूर्ण श्रद्धा और बिस्वास के साथ गायन करते हुए श्री कृष्ण की आरती उतारें.
श्री कृष्ण भगवान की आराधना के लिए कृष्ण चालीसा का पाठ करने से मन में असीम शांति का अनुभव प्राप्त होता है.
श्री कृष्ण की स्तुति के साथ आप राधा जी की भी स्तुति अवस्य करें. राधा की स्तुति के बिना श्री कृष्ण की स्तुति करना फलदायक नहीं होता है. राधा जी की आराधना और स्तुति के लिए आप Radha Chalisa राधा चालीसा और Radha Ji Ki Aarti राधा जी की आरती को माध्यम बना सकतें हैं.
वैसे मैं आप सबको एक बात कहना चाहता हूँ की अगर आपकी भक्ति सच्ची है तो सिर्फ राधा कृष्ण का नाम स्मरण करने मात्र से ही आपको श्री कृष्ण की परम कृपा की प्राप्ति हो जायेगी.
तो हम सब प्रेम से कहें जय श्री राधा कृष्णा और कृष्ण चालीसा का पाठ आरम्भ करें.
Table of Contents
Krishna Chalisa कृष्ण चालीसा
|| श्री कृष्ण चालीसा ||
|| दोहा ||
बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम |
अरुण अधर जनु बिम्ब फल, नयन कमल अभिराम ||
पूर्ण इंद्र अरविन्द मुख पीताम्बर शुभ साज |
जय मनमोहन मदन छवि,कृष्णचन्द्र महाराज |
|| चौपाई ||
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन |
जय वसुदेव देवकी नन्दन ||
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे |
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ||
जय नट-नागर नाथ नथैया |
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया ||
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो |
आओ दीनन कष्ट निवारो ||
वंशी मधुर अधर धरी तेरी |
होवे पूर्ण विनय यह मेरी ||
आओ हरि पुनि माखन चाखो |
आज लाज भारत की राखो ||
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे |
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ||
रंजित राजिव नयन विशाला |
मोर मुकुट वैजयंती माला ||
कुण्डल श्रवण पीतपट आछे |
कटि किंकणी काछन काछे ||
नील जलज सुन्दर तनु सोहे |
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे ||
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले |
आओ कृष्ण बांसुरी वाले ||
करि पय पान, पुतनहि तारयो |
अका बका कागासुर मारयो ||
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला |
भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला ||
सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई |
मूसर धार वारि वर्षाई ||
लगत-लगत ब्रज चहन बहायो |
गोवर्धन नखधारि बचायो ||
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई |
मुख महं चौदह भुवन दिखाई ||
दुष्ट कंस अति उधम मचायो |
कोटि कमल जब फूल मंगायो ||
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें |
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें ||
करि गोपिन संग रास विलासा |
सबकी पूरण करी अभिलाषा ||
केतिक महा असुर संहारयो |
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो ||
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई |
उग्रसेन कहं राज दिलाई ||
महि से मृतक छहों सुत लायो |
मातु देवकी शोक मिटायो ||
भौमासुर मुर दैत्य संहारी |
लाये षट दश सहसकुमारी ||
दै भिन्हीं तृण चीर सहारा |
जरासिंधु राक्षस कहं मारा ||
असुर बकासुर आदिक मारयो |
भक्तन के तब कष्ट निवारियो ||
दीन सुदामा के दुःख टारयो |
तंदुल तीन मूठी मुख डारयो ||
प्रेम के साग विदुर घर मांगे |
दुर्योधन के मेवा त्यागे ||
लखि प्रेम की महिमा भारी |
ऐसे श्याम दीन हितकारी ||
मारथ के पारथ रथ हांके |
लिए चक्र कर नहिं बल थाके ||
निज गीता के ज्ञान सुनाये |
भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये ||
मीरा थी ऐसी मतवाली |
विष पी गई बजाकर ताली ||
राना भेजा सांप पिटारी |
शालिग्राम बने बनवारी ||
निज माया तुम विधिहिं दिखायो |
उर ते संशय सकल मिटायो ||
तब शत निन्दा करी तत्काला |
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला ||
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई |
दीनानाथ लाज अब जाई ||
तुरतहिं वसन बने नन्दलाला |
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला ||
अस नाथ के नाथ कन्हैया |
डूबत भंवर बचावत नैया ||
सुन्दरदास आस उर धारी |
दयादृष्टि कीजै बनवारी ||
नाथ सकल मम कुमति निवारो |
क्षमहु बेगि अपराध हमारो ||
खोलो पट अब दर्शन दीजै |
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै ||
|| दोहा ||
यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि |
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि ||
भगवान श्री विष्णु की आराधना के लिए Vishnu Chalisa विष्णु चालीसा का पाठ करें.
Krishna Chalisa Lyrics
|| Shri Krishna Chalisa ||
|| DOHA ||
Banshi Shobhit Kar Madhur, Nil Jalad Tan Shyam.
Arun Adhar Janu Bimb Phal, Nayan Kamal Abhiram.
Purna Indra Arvind Mukh Pitambar Shubh Saaj.
Jay Manmohan Madan Chavi, Krishnchandra Maharaj.
|| CHOUPAI ||
Jay Yadunandan Jay Jagvandan.
Jay Vasudev Devki Nandan.
Jay Yashuda Sut nand Dulare.
Jay Prabhu Bhaktan Ke Drig Taare.
Jay Nat Nagar Nath Nathaiya.
Krishna Kanhaiya Dhenu Charaiya.
Puni Nakh Par Prabhu Girivar Dharo.
Aao Deenan Kasht Niwaro.
Vanshi Madhur Adhar Dhari Teri.
Hove Purn Vinay Yah Meri.
Aao Hari Puni Maakhan Chakho.
Aaj Laaj Bharat Ki Rakho.
Hol Kapol, Chibuk Arunare.
Mridu Muskan Mohini Dare.
Ranjit Rajiv Nayan Vishala.
Mor Mukut Vaijayanti Mala.
Kundal Shravan Pitpat Aache.
Kati Kinkani Kaachan Kaache.
Nil Jalaj Sundar Tanu Sohe.
Chavi Lakhi, Sur Nar Muniman Mohe.
Mastak Tilak, Alak Ghunghrale.
Aao Krishna Bansuri Vaale.
Kari Pay Pan, Putanahi Taaryo.
Aka Baka Kagasur Maaryo.
Madhuvan Jalat Agni Jab Jwala.
Bhai Sheetal, Lakhitahin Nandlala.
Surpati Jab Braj Chadhyo Risayi.
Moosar Dhar Vaari Varshayi.
Lagat Lagat Braj Chahan Bahayo.
Govardhan Nakhdhari Bachayo.
Lakhi Yasuda Man Bhram Adhikayi.
Mukh Mahn Choudah Bhuvan Dikhayi.
Dusht Kans Ati Udham Machayo.
Koti Kamal Jab Phool Mangayo.
Nathi Kaaliyahin Tab Tum Linhe.
Charanchinha Dai Nirbhay Kinhe.
Kari Gopin Sang Raas Vilasa.
Sabki Pooran Kari Abhilasha.
Ketik Maha Asur Sanharayo.
Kansahi Kes Pakadi Dai Maaryo.
Maat Pita Ki bandi Churayi.
Ugrasen Kahn Raaj Dilayi.
Mahi Se Mritak Chahon Sut Laayo.
Maatu Devki Shok Mitayo.
Bhoumasur Mur Daitya Sanhari.
Laaye Shat Dash Sahaskumari.
Dai Bhinhi Trin Cheer Sahara.
Jarasindhu Rakshas Kahn Mara.
Asur Bakasur Aadik Maaryo.
Bhaktan Ke Tab Kasht Nivariyo.
Deen Sudama Ke Dukh Taaryo.
Tandul Tin Muthi Mukh Daaryo.
Prem Ke Saag Vidur Ghar Maange.
Duryodhan Ke Meva Tyage.
Lakhi Prem Ki Mahima Bhari.
Aise Shyam Deen Hitkari.
Maarath Ke Paarath Rath Haanke.
Liye Chakra Kar Nahi Bal Thake.
Nij Geeta Ke Gyan Sunaye.
Bhaktan Hriday Sudha Varshaye.
Meera Thi Aisi Matvali.
Vish Pi Gayi bajakar Taali.
Rana Bheja Saanp Pitari.
Shaligram Bane Banwari.
Nij Maya Tum Vidhihin Dikhayo.
Ur Te Sanshay Sakal Mitayo.
Tab Shat Ninda Kari Tatkala.
Jiwan Mukta Bhayo Shishupala.
Jabahin Draupadi Ter Lagayi.
Deenananth Laaj Ab Jaayi.
Turatahi Vasan Bane Nandlala.
Badhe Cheer Bhai Ari Munh Kala.
As Naath Ke Naath Kanhaiya.
Doobat Bhanvar Bachavat Naiya.
Sundardas Aas Ur Dhari.
Dayadrishti Kijai Banvari.
Naath Sakal Mam Kumati Nivaro.
Kshamahu Begi Apradh Hamaro.
Kholo Pat Ab Darshan Dijai.
Bolo Krishna Kanhaiya Ki Jai.
|| DOHA ||
Yah Chalisa Krishna Ka, Path Karai Ur Dhari.
Ashta Siddhi navnidhi Phal, Lahai Padarath Chari.
सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्तिपूर्वक श्री कृष्ण की आराधना और स्तुति करें.
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