EKADASHI KI AARTI – एकादशी की आरती (एकादशी व्रत की आरती)

Ekadashi Ki Aarti – एकादशी की आरती (एकादशी व्रत की आरती) – अगर आप इस प्रकाशन को पढ़ रहें हैं तो अवश्य ही आप एकादशी व्रत करतें हैं. साथ ही आप पर भगवान श्री विष्णु की कृपा अवश्य है.

एकादशी व्रत हमारे हिन्दू धर्म का एक प्रमुख व्रत है. भगवान श्री विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत प्रत्येक हिन्दू ,माह में दो बार शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और कृष्ण की एकादशी तिथि को किया जाता है.

एकादशी व्रत का हमारे हिन्दू धर्म में अत्यंत धार्मिक महत्व है. सम्पूर्ण सात्विक भाव से भगवान श्री विष्णु को ह्रदय से समर्पित होकर एकादशी व्रत करना अत्यंत ही शुभ फलदाई और मोक्ष का द्वार खोलने वाला सिद्ध होता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत में पूजन के पश्चात श्री विष्णु जी की आरती के साथ एकादशी माता की आरती (Ekadashi Mata ki Aarti) अवश्य करनी चाहिए. इसका अत्यंत ही शुभ पुण्य फल व्रती को प्राप्त होता है.

इस प्रकाशन में हम एकादशी माता की आरती का प्रकाशन कर रहें हैं. श्री विष्णु जी की आरती से संबंद्धित प्रकाशनों के लिंक इसी पोस्ट में दिए हुए हैं. आप उन प्रकाशनों को भी अवश्य देखें और श्री विष्णु की शुद्ध और पवित्र ह्रदय से आराधना करें. आपको श्री विष्णु की परम कृपा की प्राप्ति अवश्य होगी. जय श्री विष्णु.

EKADASHI KI AARTI – एकादशी की आरती (एकादशी व्रत की आरती)

॥ एकादशी माता की आरती ॥

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी,जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर,शक्ति मुक्ति पाता॥

ॐ जय एकादशी माता.

तेरे नाम गिनाऊं देवी,भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता,शास्त्रों में वरनी॥

ॐ जय एकादशी माता.

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना,विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा,मुक्तिदाता बन आई॥

ॐ जय एकादशी माता.

पौष के कृष्णपक्ष की,सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा,आनन्द अधिक रहै॥

ॐ जय एकादशी माता.

नाम षटतिला माघ मास में,कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै,विजय सदा पावै॥

ॐ जय एकादशी माता.

विजया फागुन कृष्णपक्ष मेंशुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में,चैत्र महाबलि की॥

ॐ जय एकादशी माता.

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा,धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में,वैसाख माह वाली॥

ॐ जय एकादशी माता.

शुक्ल पक्ष में होयमोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी,शुक्लपक्ष रखी॥

ॐ जय एकादशी माता.

योगिनी नाम आषाढ में जानों,कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो,शुक्लपक्ष धरनी॥

ॐ जय एकादशी माता.

कामिका श्रावण मास में आवै,कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होयपवित्रा आनन्द से रहिए॥

ॐ जय एकादशी माता.

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की,परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में,व्रत से भवसागर निकला॥

ॐ जय एकादशी माता.

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में,आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै,सुखदायक भारी॥

ॐ जय एकादशी माता.

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की,दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूंविनती पार करो नैया॥

ॐ जय एकादशी माता.

परमा कृष्णपक्ष में होती,जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होयपद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥

ॐ जय एकादशी माता.

जो कोई आरती एकादशी की,भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा,निश्चय वह पावै॥

ॐ जय एकादशी माता.

Ekadashi Vrat Ki Aarti

॥ Ekadashi Mata Ki Aarti ॥

Om Jai Ekadashi, Jai Ekadashi,Jai Ekadashi Mata।
Vishnu Puja Vrat Ko Dharan Kar,Shakti Mukti Pata॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Tere Naam Ginau Devi,Bhakti Pradan Karni।
Gan Gaurav Ki Deni Mata,Shashtro Mein Varni॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Margashirsha Ke Krishnapaksha KiUtapanna Vishvatarini Janmi।
Shukla Paksha Mein Hui Mokshada,Muktidata Ban Aayi॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Paush Ke Krishnapaksha KiSaphala Naamak Hai।
Shuklapaksha Mein Hoye Putrada,Anand Adhik Rahe॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Naam Shattila Magh Maas Mein,Krishnapaksha Aave।
Shuklapaksha Mein Jaya Kahave,Vijay Sada Pave॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Vijaya Phalguna Krishnapaksha MeinShukla Amalaki।
Papmochani Krishna Paksha MeinChaitra Mahabali Ki॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Chaitra Shukla Mein Naam Kamada,Dhan Dene Wali।
Naam Varuthini Krishna Paksha Mein,Vaishakha Maah Wali॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Shukla Paksha Mein HoyeMohini Apara Jyeshtha Krishnapakshi।
Naam Nirjala Sab Sukha Karni,Shuklapaksha Rakhi॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Yogini Naam Ashadha Mein Jano,Krishnapaksha Karni।
Devshayani Naam Kahayo,Shuklapaksha Dharani॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Kamika Shravan Maas Mein Aave, Krishnapaksha Kahiye।
Sharvan Shukla HoyePavitra Anand Se Rahiye॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Aja Bhadrapada Krishnapaksha Ki,Parivartini Shukla।
Indra Aashwin Krishnapaksha Mein,Vrat Se Bhavsagar Nikla॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Papankusha Hai Shukla Paksha Mein,Aap Haranahari।
Rama Maas Kartik Mein Aave,Sukhdayak Bhari॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Devotthani Shukla Paksha Ki,Dukhnashak Maiya।
Paavan Maas Mein Karu VinitiPaar Karo Naiya॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Parama Krishna Paksha Mein Hoti,Jana Mangal Karni।
Shukla Maas Mein hoye Padmini,Dukh Daridra Harni॥

Om Jai Ekadashi Mata.

Jo Koi Aarti Ekadashi Ki,Bhakti Sahita Gaave।
Jan Gurdita Swarga Ka Vasa,Nishchay Vah Paave॥

Om Jai Ekadashi Mata.

एकादशी की आरती का महत्व

  • जो भी श्री विष्णु की भक्त एकादशी व्रत करतें हैं, उन्हें पूजन के पश्चात एकादशी की आरती अवश्य करनी चाहिए.
  • एकादशी की आरती में श्री विष्णु जी की आरती के साथ-साथ एकादशी माता की आरती भी अवश्य करनी चाहिए.
  • एकादशी की आरती करने से एकादशी व्रत का सम्पूर्ण पुण्य फल साधक को प्राप्त होता है.
  • भगवान श्री विष्णु और एकादशी माता की कृपा उस व्रती को प्राप्त होती है जिसने सम्पूर्ण श्रद्धा भाव से एकादशी व्रत किया है और एकादशी व्रत की आरती (Ekadashi Vrat Ki Aarti) की है.
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भक्तिपूर्वक एकादशी व्रत करने और एकादशी की आरती करने से मनुष्य को अथाह पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
  • उस साधक के लिए मोक्ष के द्वार खुल जातें हैं, जिसने श्रद्धा और भक्तिपूर्वक एकादशी व्रत सम्पूर्ण करके एकादशी की आरती का ह्रदय से गायन किया है.

एकादशी की आरती कैसे करें?

जो भी साधक एकादशी व्रत कर रहें हैं, उन्हें प्रातः काल स्नान आदि करने के पश्चात सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्तिपूर्वक श्री विष्णु के साथ साथ एकादशी माता की पूजा आराधना करनी चाहिए. पूजन के पश्चात श्री विष्णु जी की आरती करें और फिर एकादशी माता की आरती करें. ऐसा ही संध्या काल में भी करें.

ऐसा ही पारण के दिन भी करें.

एकादशी व्रत की आरती में कौन से आरती की जाती है?

आप सबको बताना चाहूँगा की एकादशी की आरती में एकादशी माता की आरती की जाती है. साथ ही भगवान श्री विष्णु की भी आरती की जाती है.

एकादशी की आरती किस दिन की जाती है?

जो भी भक्त एकादशी व्रत कर रहें हैं, उन्हें एकादशी व्रत के दिन प्रातः काल और संध्या काल तथा पारण के दिन प्रातः काल में पूजन के पश्चात एकादशी की आरती करना शुभ माना गया है.

नोट : इस प्रकाशन में दी गयी जानकारी हमारे ज्ञान के अनुसार सही है. फिर भी किसी भी प्रकार की शंका होने पर आप अपने ज्योतिष और पुरोहित से इस संबंद्ध में जानकारी अवश्य प्राप्त कर लें. धन्यवाद.

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